फ़िराक गोरखपुरी का जीवन परिचय कक्षा 12-Firaq Gorakhpuri Ka Jivan Parichay

राजस्थान बोर्ड परीक्षा कक्षा 12 अनिवार्य हिंदी के पेपर में एक प्रश्न लेखक अथवा कवि परिचय का आता है। इस पोस्ट में हम फ़िराक गोरखपुरी का जीवन परिचय(Firaq Gorakhpuri Ka Jivan Parichay) लिखना सीखेंगे। कवि अथवा लेखक परिचय को चार से पांच बिंदुओं में विभाजित करके लिखना चाहिए।पहला बिंदु प्रारंभिक जीवन या जीवन परिचय का लिखना चाहिए।दूसरा बिंदु साहित्यिक परिचय का लिखना चाहिए।तीसरा बिंदु प्रमुख रचनाओं का लिखना चाहिए। प्रमुख रचनाओं वाले बिंदु को भी उप बिंदुओं में विभाजित करके लिखना चाहिए जैसे काव्य संग्रह,कहानी संग्रह,निबंध संग्रह,उपन्यास आदि। पांचवां बिंदु भाषा-शैली का लिखना चाहिए। इनके अलावा अपने विवेक से अन्य बिंदु भी लिखे जा सकते हैं।

आइये अब हम फिराक गोरखपुरी का जीवन परिचय(Firaq Gorakhpuri Ka Jivan Parichay) लिखना सीखते हैं।

Firaq Gorakhpuri Ka Jivan Parichay

Firaq Gorakhpuri Ka Jivan Parichay-फ़िराक गोरखपुरी का जीवन परिचय

फ़िराक गोरखपुरी का जीवन परिचय

 

जीवन परिचय

आधुनिक उर्दू गज़ल के रौशन सितारा माने जाने वाले फ़िराक गोरखपुरी का जन्म 28 अगस्त सन् 1896 ई. में गोरखपुर उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनका मूल नाम रघुपति सहाय ‘फ़िराक’ था। इनकी शिक्षा की शुरुआत रामकृष्ण की कहानियों से हुईं  थी, बाद की शिक्षा अरबी, फ़ारसी और अंग्रेजी में हुई।स्वतंत्रता आंदोलन में सम्मिलित होने के कारण डेढ़ वर्ष की जेल हुई।

साहित्यिक परिचय

फ़िराक गोरखपुरी ने अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत गज़ल से की।उर्दू शायरी में लोकजीवन और प्रकृति का चित्रण बहुत कम हुआ है। फ़िराक जी ने परंपरागत भावबोध और शब्द भंडार का उपयोग करते हुए उर्दू शायरी को नयी भाषा और नए विषयों से जोड़ा।उनके यहां सामाजिक दुखदर्द व्यक्तिगत अनुभूति बनकर शायरी में ढला है।भारतीय संस्कृति की गहरी समझ के कारण उनकी शायरी में भारत की मूल पहचान रच-बस गई है।

प्रमुख रचनाएं

गुले-नग्मा, नज़्में ज़िन्दगी, रंगे-शायरी, उर्दू गज़लगोई

पुरस्कार और सम्मान

सन् 1960 में गुले-नग्मा के लिए इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला ओर इसी रचना पर इनको ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सोवियत लैंड नेहरू अवॉर्ड भी मिला।

भाषा – शैली

फ़िराक जी सौंदर्यबोध के शायर है।इनकी रचनाओं में उर्दू,हिंदी और लोकभाषा का अनूठा मिश्रण दिखाई देता है।

निधन

सन् 1983 ई.

आशा है आप फ़िराक गोरखपुरी का जीवन परिचय (Firaq Gorakhpuri Ka Jivan Parichay)लिखना सीख गये होंगे। इसी तरह की अध्ययन सामग्री पढ़ने के लिए ‘हिंदी की पाठशाला’ के साथ बने रहे।

अन्य लेखक /कवि परिचय

1 महादेवी वर्मा
2 जैनेद्र कुमार
3 हजारी प्रसाद द्विवेदी

FAQs

फ़िराक गोरखपुरी का जीवन परिचय कैसे लिखे?

कवि अथवा लेखक परिचय को चार से पांच बिंदुओं में विभाजित करके लिखना चाहिए।पहला बिंदु प्रारंभिक जीवन या जीवन परिचय का लिखना चाहिए।दूसरा बिंदु साहित्यिक परिचय का लिखना चाहिए।तीसरा बिंदु प्रमुख रचनाओं का लिखना चाहिए। प्रमुख रचनाओं वाले बिंदु को भी उप बिंदुओं में विभाजित करके लिखना चाहिए जैसे काव्य संग्रह,कहानी संग्रह,निबंध संग्रह,उपन्यास आदि। पांचवां बिंदु भाषा-शैली का लिखना चाहिए। इनके अलावा अपने विवेक से अन्य बिंदु भी लिखे जा सकते हैं।

फ़िराक गोरखपुरी के पिता का नाम मुंशी गोरखनाथ था। वे पेशे से वकील थे।

 फ़िराक गोरखपुरी को ‘गुले-नग्मा’ रचना के लिए सन् 1969 ई. में ज्ञानपीठ पीठ पुरस्कार मिला था।

गुले-नग्मा और रंगे-शायरी

फ़िराक गोरखपुरी का एकमात्र उपन्यास ‘साधु और कुटिया’ है

कवि अथवा लेखक परिचय को चार से पांच बिंदुओं में विभाजित करके लिखना चाहिए।पहला बिंदु प्रारंभिक जीवन या जीवन परिचय का लिखना चाहिए।दूसरा बिंदु साहित्यिक परिचय का लिखना चाहिए।तीसरा बिंदु प्रमुख रचनाओं का लिखना चाहिए। प्रमुख रचनाओं वाले बिंदु को भी उप बिंदुओं में विभाजित करके लिखना चाहिए जैसे काव्य संग्रह,कहानी संग्रह,निबंध संग्रह,उपन्यास आदि। पांचवां बिंदु भाषा-शैली का लिखना चाहिए। इनके अलावा अपने विवेक से अन्य बिंदु भी लिखे जा सकते हैं।

फ़िराक गोरखपुरी के पिता का नाम मुंशी गोरखनाथ था। वे पेशे से वकील थे।

फ़िराक गोरखपुरी को ‘गुले-नग्मा’ रचना के लिए सन् 1969 ई. में ज्ञानपीठ पीठ पुरस्कार मिला था।

गुले-नग्मा और रंगे-शायरी

फ़िराक गोरखपुरी का एकमात्र उपन्यास ‘साधु और कुटिया’ है

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