कविता के बहाने पाठ योजना | Kavita ke Bahane Path Yojana | आरोह भाग-2 | कक्षा 12 हिंदी अनिवार्य

नमस्कार शिक्षक साथियों! ‘शिक्षक कॉर्नर’ में आपका स्वागत है। आज हम आपके लिए RBSE/CBSE कक्षा 12 हिंदी अनिवार्य के लिए NCERT की पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ के काव्य खंड के पाठ 3 “कुँवर नारायण” की प्रसिद्ध कविता ‘कविता के बहाने’ के लिए एक विस्तृत और गहन पाठ योजना प्रस्तुत कर रहे हैं। यह Kavita ke Bahane Path Yojana आपके कक्षा शिक्षण को आसान बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है, ताकि आपको विस्तृत व्याख्या, काव्य सौंदर्य, NCERT हल और परीक्षा-केंद्रित अभ्यास जैसी हर आवश्यक सामग्री एक ही स्थान पर मिल सके।

पाठ अवलोकन

विवरणजानकारी
कक्षा12
विषयहिंदी (अनिवार्य)
पुस्तकआरोह भाग-2 (काव्य खंड)
पाठ3. कविता के बहाने
कविकुँवर नारायण
अनुमानित समय45 मिनट (1 कालांश)

शैक्षणिक उद्देश्य एवं सामग्री

सीखने के उद्देश्य (Learning Objectives)

  • विद्यार्थी कविता की असीम संभावनाओं और उसकी प्रकृति को समझ सकेंगे।
  • विद्यार्थी कविता की तुलना चिड़िया, फूल और बच्चे से करते हुए उसके विशिष्ट स्वरूप का विश्लेषण कर सकेंगे।
  • विद्यार्थी कविता में प्रयुक्त बिंबों, प्रतीकों और भाषा की सहजता को पहचान सकेंगे।
  • विद्यार्थी RBSE परीक्षा पैटर्न के अनुसार सभी प्रकार के प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम हो सकेंगे।

आवश्यक सामग्री (Required Materials)

  • पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग-2’
  • श्यामपट्ट/व्हाइटबोर्ड और मार्कर/चॉक
  • चिड़िया, फूल और खेलते हुए बच्चे के चित्रों वाला चार्ट (वैकल्पिक)

कवि परिचय: कुँवर नारायण

1. जीवन परिचय

कुँवर नारायण (जन्म: 19 सितंबर, 1927; निधन: 2017) नयी कविता आंदोलन के एक प्रमुख स्तंभ थे। उत्तर प्रदेश में जन्मे कुँवर नारायण को नागर संवेदना का कवि माना जाता है। उन्होंने 1950 के आसपास काव्य-लेखन की शुरुआत की और अपनी एक अलग पहचान बनाई।

2. साहित्यिक परिचय

कुँवर नारायण की कविता में व्यर्थ का उलझाव, अखबारी सतहीपन और वैचारिक धुंध के बजाय संयम, परिष्कार और साफ़-सुथरापन है। जीवन को समग्र रूप से समझने वाला एक खुलापन उनके कवि-स्वभाव की मूल विशेषता है। ‘आत्मजयी’ जैसे प्रबंध काव्य रचकर उन्होंने भरपूर प्रतिष्ठा प्राप्त की।

3. प्रमुख रचनाएँ

काव्य संग्रह: चक्रव्यूह (1956), परिवेश: हम-तुम, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों।
प्रबंध काव्य: आत्मजयी।
कहानी संग्रह: आकारों के आस-पास।

4. प्रमुख सम्मान

उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार, व्यास सम्मान, कबीर सम्मान और भारतीय साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ (2005) से सम्मानित किया गया।

5. भाषा-शैली

कुँवर नारायण की भाषा और विषय में विविधता है। उनकी भाषा में संयम और साफ-सुथरापन है। वे सीधी घोषणाओं और फैसलों से बचते हैं। उनकी कविताओं के बीज शब्द हैं- संशय, संभ्रम, प्रश्नाकुलता।

शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया (कक्षा के लिए विस्तृत गाइड)

1. पूर्व ज्ञान से जोड़ना (Engage – 5 मिनट)

कक्षा की शुरुआत इन प्रश्नों से करें ताकि विषय के प्रति छात्रों की रुचि जागृत हो सके:

  • आपके अनुसार कविता क्या है? क्या इसकी कोई सीमा होती है?
  • कविता ऐसा क्या कर सकती है जो एक चिड़िया या एक फूल नहीं कर सकते?
  • बच्चों के खेल और कविता में आपको क्या समानता दिखती है?
2. पाठ की प्रस्तुति (Explore & Explain – 20 मिनट)

सस्वर वाचन: उचित हाव-भाव, लय और आरोह-अवरोह के साथ कविता का सस्वर वाचन करें।

पद्यांश-वार विस्तृत व्याख्या:

पद्यांश 1: “कविता एक उड़ान है… चिड़िया क्या जाने?”

सरलार्थ: कवि कहते हैं कि कविता कल्पना की एक उड़ान है, ठीक वैसे ही जैसे चिड़िया उड़ती है। लेकिन कविता की उड़ान और चिड़िया की उड़ान में एक बड़ा अंतर है। चिड़िया की उड़ान की एक सीमा होती है, वह कुछ दूर उड़कर थक जाती है। परंतु कविता कल्पना के पंख लगाकर देश और काल की सीमाओं से परे उड़ सकती है। उसकी उड़ान असीम है। इस असीम उड़ान के अर्थ को बेचारी चिड़िया नहीं समझ सकती।

पद्यांश 2: “कविता एक खिलना है… फूल क्या जाने?”

सरलार्थ: कवि कविता की तुलना फूलों के खिलने से करते हैं। कविता भी फूलों की तरह खिलकर अपने भावों की सुगंध बिखेरती है। लेकिन यहाँ भी एक अंतर है। फूल खिलने के कुछ समय बाद मुरझा जाता है और उसकी सुगंध समाप्त हो जाती है। इसके विपरीत, कविता एक बार खिलकर हमेशा के लिए अपनी महक बिखेरती रहती है। वह कभी नहीं मुरझाती। बिना मुरझाए हमेशा महकते रहने का यह रहस्य फूल नहीं समझ सकता।

पद्यांश 3: “कविता एक खेल है… बच्चा ही जाने।”

सरलार्थ: अंत में, कवि कविता की तुलना बच्चों के खेल से करते हैं और यहाँ उन्हें समानता दिखती है। जिस प्रकार बच्चे खेलते समय किसी भी प्रकार की सीमा, भेदभाव या अपने-पराए का बंधन नहीं मानते और सभी घरों को एक कर देते हैं, उसी प्रकार कविता भी शब्दों का खेल है। वह भी किसी सीमा में नहीं बँधती और सभी को अपना बना लेती है, सभी के दिलों को जोड़ देती है। इस समानता के कारण कवि कहते हैं कि कविता के इस वास्तविक स्वरूप को केवल एक बच्चा ही समझ सकता है।

3. सौंदर्य बोध (Elaborate – 10 मिनट)

भाव पक्ष: इस कविता में कवि ने कविता की अपार संभावनाओं को दर्शाया है। कविता की रचनात्मक ऊर्जा किसी सीमा में नहीं बँधती। वह चिड़िया की उड़ान से भी ऊँची और फूल के खिलने से भी अधिक स्थायी है। कविता बच्चों के खेल की तरह निश्छल, सीमाहीन और सबको एक करने वाली होती है।

कला पक्ष:

  • भाषा: सरल, सहज और प्रवाहमयी खड़ी बोली का प्रयोग है।
  • शैली: मुक्त छंद का सुंदर प्रयोग है। शैली प्रश्नात्मक और संवादात्मक है।
  • अलंकार: ‘कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने’ में वक्रोक्ति अलंकार है। कविता का मानवीकरण किया गया है।
  • बिंब योजना: कविता में दृश्य बिंब (उड़ान, खिलना) सजीव हो उठे हैं।
4. मूल्यांकन (Evaluate – 10 मिनट)

कक्षा-कार्य: छात्रों से पूछें: ‘सब घर एक कर देने के माने’ का आशय क्या है? कविता और फूल के खिलने में क्या मुख्य अंतर है?

गृहकार्य: NCERT अभ्यास के प्रश्न संख्या 1, 3, और 4 तथा RBSE परीक्षा केंद्रित अभ्यास से सप्रसंग व्याख्या का प्रश्न हल करने के लिए दें।

NCERT अभ्यास-प्रश्नों के विस्तृत हल

प्रश्न 1: इस कविता के बहाने बताएँ कि ‘सब घर एक कर देने के माने’ क्या है?

उत्तर: ‘सब घर एक कर देने के माने’ का अर्थ है भेदभाव, अलगाव और सीमाओं को समाप्त कर देना। जिस प्रकार बच्चे खेलते समय जाति, धर्म, अमीर-गरीब या अपने-पराए का भेद नहीं करते और सभी घरों में एक समान भाव से खेलते हैं, उसी प्रकार कविता भी शब्दों के माध्यम से समाज को बाँटने वाली सभी दीवारों को गिरा देती है। वह किसी एक व्यक्ति, वर्ग या देश की नहीं होती, बल्कि संपूर्ण मानवता की होती है। वह अपनी संवेदना से सभी को एक सूत्र में पिरो देती है।

प्रश्न 2: ‘उड़ने’ और ‘खिलने’ का कविता से क्या संबंध बनता है?

उत्तर: ‘उड़ने’ और ‘खिलने’ का कविता से गहरा संबंध है, लेकिन कवि इन दोनों क्रियाओं की सीमाओं को दिखाकर कविता की असीमता को सिद्ध करते हैं।
उड़ना: चिड़िया की उड़ान भौतिक है और उसकी एक निश्चित सीमा है। इसके विपरीत, कविता कल्पना की उड़ान है जो देश, काल और भाषा की सीमाओं से परे है।
खिलना: फूल का खिलना भी अस्थायी है, वह कुछ समय बाद मुरझा जाता है। इसके विपरीत, कविता एक बार रचे जाने के बाद अमर हो जाती है। उसका प्रभाव और सौंदर्य कभी समाप्त नहीं होता।

प्रश्न 3: कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?

उत्तर: कवि ने कविता और बच्चे को समानांतर इसलिए रखा है क्योंकि दोनों के स्वभाव में अद्भुत समानताएँ हैं:
1. सीमाओं का अभाव: बच्चे और कविता, दोनों ही किसी सीमा में नहीं बँधते।
2. रचनात्मकता और खेल: दोनों का आधार खेल है। बच्चा वस्तुओं से खेलता है और कवि शब्दों से। दोनों ही अपनी रचनात्मक ऊर्जा से नई दुनिया का सृजन करते हैं।
3. निश्छलता: बच्चे का मन निश्छल होता है और एक अच्छी कविता भी किसी पूर्वाग्रह से मुक्त होती है।
इन्हीं कारणों से कवि को चिड़िया और फूल की तुलना में बच्चे और कविता में अधिक समानता दिखाई देती है।

प्रश्न 4: कविता के संदर्भ में ‘बिना मुरझाए महकने के माने’ क्या होते हैं?

उत्तर: कविता के संदर्भ में ‘बिना मुरझाए महकने के माने’ हैं – कविता का कालजयी और अमर होना। फूल खिलने के बाद एक निश्चित समय पर मुरझा जाता है और उसकी सुगंध समाप्त हो जाती है। लेकिन कविता का प्रभाव समय के साथ समाप्त नहीं होता। सदियों पहले लिखी गई कविताएँ भी आज उतनी ही प्रासंगिक और आनंददायक हैं। उनका संदेश, भाव और सौंदर्य हमेशा जीवित रहता है और पाठकों के मन को सुगंधित करता रहता है। यही कविता की अमरता है।

RBSE परीक्षा-केंद्रित अभ्यास

कवि परिचय (उत्तर सीमा 80 शब्द)

प्रश्न: कवि कुँवर नारायण का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर: कुँवर नारायण (1927-2017) ‘नयी कविता’ दौर के प्रमुख नागर संवेदना के कवि हैं। उन्होंने ‘चक्रव्यूह’, ‘इन दिनों’ जैसे काव्य संग्रह और ‘आत्मजयी’ जैसा प्रसिद्ध प्रबंध काव्य रचा। उनकी कविता में वैचारिक धुंध के बजाय संयम, परिष्कार और साफ़-सुथरापन है। भाषा और विषय की विविधता उनकी विशेषता है। जीवन को समग्रता में देखने की खुली दृष्टि के कारण उनकी कविताओं में संशय और प्रश्नाकुलता के भाव मिलते हैं। उन्हें साहित्य अकादेमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार जैसे सर्वोच्च सम्मानों से अलंकृत किया गया।

सप्रसंग व्याख्या

पद्यांश: “कविता एक खेल है बच्चों के बहाने… सब घर एक कर देने के माने बच्चा ही जाने।”

संदर्भ: प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि कुँवर नारायण की कविता ‘कविता के बहाने’ से उद्धृत है।
प्रसंग: यहाँ कवि ने कविता की तुलना बच्चों के खेल से करते हुए उसकी सीमाहीन प्रकृति और सबको एक करने की शक्ति को उजागर किया है।
व्याख्या: कवि कहते हैं कि कविता भी बच्चों के खेल की तरह शब्दों का एक खेल है। जिस प्रकार बच्चे खेलते समय अपने-पराए, घर या किसी भी सीमा का बंधन नहीं मानते और सभी को एक समान बना देते हैं, ठीक उसी प्रकार कविता भी किसी सीमा में नहीं बँधती। वह अपनी संवेदना और भावों से सभी को एक कर देती है। इस सीमाहीन एकता के अर्थ को एक निश्छल बच्चा ही समझ सकता है।
विशेष: (1) भाषा अत्यंत सरल और सहज है। (2) कविता और बच्चों के खेल में सुंदर सादृश्यता स्थापित की गई है। (3) मुक्त छंद का प्रयोग है। (4) ‘बच्चा ही जाने’ पंक्ति कविता के मर्म को गहराई देती है।

बहुचयनात्मक प्रश्न (MCQ)

1. ‘कविता के बहाने’ कविता में कविता की तुलना किससे नहीं की गई है?

(क) चिड़िया
(ख) फूल
(ग) पतंग
(घ) बच्चा

2. कविता की उड़ान को असीम क्यों माना गया है?

(क) वह कल्पना के पंखों से उड़ती है
(ख) वह बहुत तेज़ होती है
(ग) वह कभी नहीं रुकती
(घ) वह हवा में उड़ती है
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (उत्तर सीमा 20 शब्द)

प्रश्न 1: कविता की उड़ान और चिड़िया की उड़ान में क्या मौलिक अंतर है?
उत्तर: चिड़िया की उड़ान की एक निश्चित सीमा होती है, जबकि कविता की कल्पना की उड़ान देश और काल की सीमाओं से परे, असीम होती है।

प्रश्न 2: कवि के अनुसार कविता के सही अर्थ को कौन समझ सकता है और क्यों?
उत्तर: कवि के अनुसार कविता के सही अर्थ को एक बच्चा ही समझ सकता है, क्योंकि वह भी कविता की तरह ही सीमा और बंधन नहीं मानता।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (उत्तर सीमा 40 शब्द)

प्रश्न 1: ‘कविता के बहाने’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस कविता का प्रतिपाद्य कविता की शक्ति, व्यापकता और उसकी असीम संभावनाओं को प्रकट करना है। कवि बताते हैं कि कविता की रचनात्मक ऊर्जा किसी भी सीमा में नहीं बँधती और वह बच्चों के खेल की तरह सभी को एक सूत्र में पिरोने की क्षमता रखती है।

प्रश्न 2: फूल और कविता के खिलने में क्या अंतर बताया गया है?
उत्तर: फूल का खिलना एक निश्चित अवधि के लिए होता है, जिसके बाद वह मुरझाकर अपनी सुगंध खो देता है। इसके विपरीत, कविता का खिलना शाश्वत होता है। एक बार रचे जाने के बाद वह हमेशा अपनी भाव-सुगंध बिखेरती रहती है और कभी नहीं मुरझाती।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (उत्तर सीमा 60-80 शब्द)

प्रश्न 1: ‘कविता के बहाने’ कविता यह कैसे सिद्ध करती है कि कविता का स्वरूप बच्चे की तरह सीमाहीन है?
उत्तर: कविता में कवि पहले चिड़िया की उड़ान और फूल के खिलने से कविता की तुलना करते हैं, लेकिन दोनों को सीमित पाते हैं। अंत में वे कविता को बच्चे के खेल के समानांतर रखते हैं। जिस प्रकार एक बच्चा खेलते समय अपने-पराए, घर-बाहर की सीमाओं को नहीं मानता और सभी घरों को एक कर देता है, उसी प्रकार कविता भी काल, समाज और भाषा के बंधनों को तोड़कर सभी से आत्मीय संबंध स्थापित करती है। अतः बच्चे की तरह कविता भी सीमाहीन और सर्वव्यापी है।

प्रश्न 2: ‘कविता के बहाने’ कविता में कवि की आशावादिता किस प्रकार प्रकट हुई है?
उत्तर: यह कविता उस दौर में लिखी गई है जब यांत्रिकता के दबाव में कविता के अस्तित्व पर संकट की आशंका जताई जा रही थी। ऐसे में कवि कुँवर नारायण कविता की अपार संभावनाओं को पुनः स्थापित करते हैं। वे चिड़िया और फूल की सीमाओं को दिखाकर यह सिद्ध करते हैं कि कविता की रचनात्मक ऊर्जा कभी समाप्त नहीं हो सकती। बच्चे के खेल से उसकी समानता दिखाकर कवि यह आशा व्यक्त करते हैं कि जब तक दुनिया में निश्छलता, रचनात्मकता और सीमाहीन कल्पना मौजूद है, तब तक कविता का भविष्य भी उज्ज्वल है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

इस कविता का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इस कविता का मुख्य उद्देश्य यांत्रिकता के दबाव में कविता के अस्तित्व को लेकर आशंकित लोगों को कविता की अपार संभावनाओं से परिचित कराना है। यह कविता की शक्ति, व्यापकता और अमरता को सिद्ध करती है।

कविता बच्चे के खेल के समान कैसे है?

कविता बच्चे के खेल के समान है क्योंकि दोनों में कोई सीमा नहीं होती। जैसे बच्चा खेलते समय अपने-पराए का भेद भूलकर सभी घरों को एक कर देता है, वैसे ही कविता भी भावों और विचारों के स्तर पर सभी सीमाओं को तोड़कर संपूर्ण मानवता को एक सूत्र में बाँधती है।

हम आशा करते हैं कि कुँवर नारायण की ‘कविता के बहाने’ पर आधारित यह विस्तृत पाठ योजना आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी। इस Kavita ke Bahane Path Yojana को शिक्षकों की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है ताकि आपको एक ही स्थान पर संपूर्ण शिक्षण और परीक्षा सामग्री मिल सके। अपने विचार और सुझाव हमें कमेंट्स में अवश्य बताएं।

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